Weight Loss Program

सर्व खल्वमिदं ब्रह्म

सर्व खल्वमिदं ब्रह्म
जिस अविनाषी परमसत्ता के संकल्प से अखिल ब्रह्मांड का अणु-अणु थिरक रहा है और प्रत्येक प्राणी में जीवनी षक्ति का संचार भी हो रहा है। वह कौन है, कैसा है- ठीक- ठाक कहा नहीं जा सकता है। वह अगोचर और मन-वाणी से परे मात्र निज अनुभव से ही जाना जा सकता है। यही वजह है कि श्रुतियों में ” कस्मे देवाय हविषा विधेम।“ यानी उस कौन देव की पूजा-अर्चना कर आहुति देने आदि की चर्चा बड़े विस्तार से की गयी है। वह अविनाषी सत्ता वास्तव में अकथ, अनादि और अपरिभाषेय है। वह एक ऐसी अविनाषी सत्ता है जिसे सत्, चित व आनंदमय भी कहा गया है, वही जगत, जीव व ब्रह्म के स्वरुप में प्रत्येक जड़-चेतन में सदा सर्वत्र प्रकाषित हो रहा है।
उस सच्चिादानंद परमात्मा का ही सत् रुप जगत के प्रत्येक अणु-परमाणु में विचरण कर रहा है। उसी का चित् रुप हर प्राणी के अंदर चेतना का संचार कर रहा है और उसी का आनंद स्वरुप घट-घट में रमकर राम बन गया है। वह सबको आकर्षित करने के गुणों से युक्त होने के कारण कृष्ण और सर्वव्यामकता आदि गुणों से युक्त होकर विष्णु नाम धारण कर नार अर्थात जल में अपना अयन बनाने वाला नारायण बन बैठा है।
उसे ही ऊॅ, तत्, सत् आदि के द्वारा इंगित किया गया है। किंतु यहां एक बात स्पष्ट रुप से समझ लेने की जरुरत है कि वह परम अविनाषी सत्ता मानव षरीर में ही अपनी पूरी क्षमता और प्रभु सत्ता से इस प्रकार से विराजमान है कि यदि जीव चाहे तो वह इस षरीर के माध्यम से उस परम सत्ता का उसकी पूर्णता के साथ अनुभव कर सकता है। ऐसा करने में कोई अन्य प्राणी सक्षम नहीं है। क्योंकि उस परम सत्ता ने मनुष्य का निर्माण ही इस तरीके से किया है कि इस षरीर में ऐसी साधना व कर्म किया जा सकता है जिसके फलस्वरुप मनुष्य को उस परमसत्ता के परमानंद व सच्चिादानंद स्वरुप का उसकी पूर्णता व समग्रता के साथ परिचय व सानिध्य लाभ मिल सकता है। मनुष्य को उसका प्रत्यक्ष अनुभव व साक्षात्कार बड़ी आसानी से हो सकता है। क्योंकि बनाने वाले ब्रह्म ने मनुष्य को अपने स्वरुप में गढ़कर ब्रह्मांड के ही छोटे सांचो में ढाला है। इन तथ्य को अनुभवी संतो ने अपने अनुभव के तराजु पर तौला है और श्रुतियों की इस घोषणा से सहमति व्यक्त की है कि सर्व खल्वमिदं ब्रह्म यानी अखिल ब्रह्मांड में जो कुछ भी है वह सब उस एकमेव अविनाषी सत्ता की ही अभिव्यक्ति की विविध षैलियां व मुद्राएं है। उसे तत्व से जानकर ही मनुष्य जीवन सार्थक होता है।