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दाती महाराज यूरोप को देंगे सनातन धर्म का संदेश

दाती महाराज ने एक अहसास नाम से की चैनल की शुरुआत

दाती महाराज यूरोप को देंगे सनातन धर्म का संदेश

सनातन धर्म की निर्मल धारा को सभी तक पहुंचाने के लिए श्रीश्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज ने एक नई पहल की है। अपनी इस पहल के तहत वह यूरोप और मिडिल ईस्ट के लोगों के बीच सनातन धर्म का संदेश पहुंचाएंगे। इसके लिए दाती महाराज की ओर से यूरोप और मिडिल ईस्ट में एक चैनल की शुरुआत की गई है। इस चैनल का नाम एक अहसास है और इसको ईबी-9 सेटलाइट पर देखा जा सकता है। इस चैनल की पहुंच 120 मीलियन घरों तक होगी। इस चैनल का मुख्यालय बेलज्यिम के ब्रूसेल्स में बनाया गया है। साथ ही वहां पर शनिधाम ट्रस्ट का कार्यालय भी स्थापित किया गया है।

इस चैनल के बार में बात करते हुए दाती महाराज ने कहा है कि सनातन धर्म बताता है, ईश्वर एक ही है कोई दूसरा ईश्वर नहीं है। उसे ही ब्रह्म, परब्रह्म, परमात्मा और परमेश्वर कहा जाता है। वह निराकार, निर्गुण और अजन्मा है। उसकी कोई मूर्ति नहीं बनायी जा सकती। वेद अनुसार उसे छोडक़र और किसी की पूजा और प्रार्थना करने वाला उसके लोक में न जाकर जन्म-जन्मांतर तक भटकता रहता है। उसको जो याद करता रहता है उसके सभी दुख मिट जाते हैं। देवता, दानव, भगवान पितर आदि सभी उसी ईश्वर के अधिन है। वे सब भी उसी की प्रार्थना करते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सनातन धर्म बहुत महान है। इसमें निहित ज्ञान मनुष्य के सर्वांगीण विकास में  सहायक है। यह मनुष्य को जीवन जीने की कला बताता है। यह बताता है कि कठिन और जटिल परिस्थितियों में रहकर जीवन को कैसे सहज और सरल बनाया जा सकता है। इस धर्म की इसी खूबी ने दुनिया को अपनी तरफ आकर्षित किया है। इसीलिए मैं चाहता था कि सनातन धर्म की इन्हीं खूबियां से भारत ही नहीं अपितु पूरी दुनिया लाभान्वित हो। इस चैनल के माध्यम से हमेशा योग, ध्यान, कर्मकांड,  जीवन में खुशहाली के नुस्खे, रोजमर्रा की जिंदगी को सरल बनाने के उपाय, राशिफल और आयुर्वेद की जानकारी लोगों तक पहुंचाई जाएगी ताकि सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार को सके। चैनल के शुभारंभ पर आयोजित कार्यक्रम में दाती महाराज ने कहा कि आज भारतीय संस्कृति में पाश्चात्य देशों के लोग दिलचस्पी लेने लगे हैं। उनको लगने लगा है कि भौतिकवाद में संपूर्ण सुख नहीं है। भौतिकवादिता के चलते जीवन में कई परेशानियां होती हैं और इन परेशानियों का समाधान खोजते-खोजते मनुष्य थक जाता है।

पाश्चात्य देशों के लोगों की भारतीय संस्कृति की ओर बढ़ी जिज्ञासा को शांत करने के लिए मैंने यह पहल की है। मैं इस चैनल के माध्यम से पूरे यूरोप को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जोडऩे का प्रयास कर रहा हूं। मेरा जीवन मानव मात्र के लिए समर्पित है। मैं सदा ही सेवा में विश्वास करता हूं क्योंकि यही मेरा कर्म और यही मेरी पूजा है। बता दें कि दाती महाराज इन दिनों यूरोप के आठ देशों की यात्रा पर हैं। इस दौरान वह आस्ट्रीया, बेलज्यिम, हॉलैंड, फ्रांस, स्वीटजरलैंड, जर्मनी, इटली और लैक्समबर्ग में लोगों को आध्यात्म से अवगत कराएंगे।