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समस्त बुनियादी सवालों का जवाब

समस्त बुनियादी सवालों का जवाब
भगवान, भक्ति और भक्त तीनों का अस्तित्व अलग - अलग होते हुए भी अंततः तीनो एकाकार हो जाते है। ज्ञेय-ज्ञान-ज्ञाता का भेद भी साधना अंतिम चरण में पूरी तरह मिट जाता है। जो भी षेष रह जाता है, वह एक अलौकिक अनुभूति होती है जिसे कुछ भी नाम दे दिया जाये उसकी अस्मिता और अस्तित्व में कोई अंतर नहीं होता।
आमतौर पर परमसत्य परमात्मा का यह तेजोमय स्वरुप, उसमें लगा हुआ साधन रुप साधक का मन और साधना करने वाला साधक- ये तीन अलग-अलग चीजें हो गयी। ये तीनो ही चीजें जिस बिन्दू पर एक साथ मिल जाती है, उसी क्षण एक अति महत्वपूर्ण घटना घट जाती  हैै। हमारे लिए इस सृष्टि और सृष्टिकर्ता का रहस्य पूरी समग्रता से उजागर हो जाता है। हाथ में रखे आंवले की तरह साधक, साधन व साध्य का हर पहलू पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है। हमें समस्त बुनियादी सवालों का जवाब हासिल हो जाता है।